तू तो समझता ही होगा
,कई सालों से तुझे कुछ कहना चाहता हूं
हर बार यही लगा कि इसमें कहने का क्या है, ये तो तू समझता ही होगा
और जो तू ना समझना चाहे, तो मै कहकर क्या कर लूंगा
ये तो हज़ारों सालों से सैकड़ों ने कहा है
किताबों में कहा, कहानियों में कहा, गीतों में कहा, मालूम था फिर भी कहा
तुझे समझना होता तो समझ ही जाता, मै कहकर क्या कर लूंगा।
इतना क्या मुश्किल है समझना कि
जो अच्छा इंसान नहीं बन सकता, वो ना अच्छा हिन्दू बन सकता है ना मुसलमान
इतना क्या मुश्किल है समझना कि
बाप के किए की सजा बेटे को देना सही नहीं है
और दसवीं पुष्त से हिसाब चुकता करना तो सरासर बेवकूफी है
इतना तो तू समझता ही होगा कि
जो खर्च ही ना कर सको उस पैसे के पीछे भागना पागलपन है
कोई और यह पागलपन करें इसलिए तुम भी करो ऐसा जरूरी नहीं है
ये तो समझने की जरूरत ही नहीं है कि
अच्छा खाना, पर्याप्त नींद और हर रोज कसरत सेहत के लिए फायदेमंद है
इनका ध्यान ना रखने से ना तो शान बढ़ती है और ना शिद्दत साबित होती है
ये सारी बातें मै इसलिए नही कहता क्योंकि ये तो हर कोई जानता है और तू भी समझता है
लेकिन इस समझ का सबूत नहीं मिलता तो मै सोच में पड़ जाता हूं
फिर कहने को निकलता हूं
मगर रास्ते में यही लगता है कि
इन बातों मै कहने का क्या है तू तो समझता ही होगा
फिर कभी कभी लगता है कि
जानने और समझने में कुछ फर्क होगा तभी ये अलग शब्द हैं
लेकिन कहने से जानकारी समझ में बदल जाएगी इसका यकीन भी नहीं है।
अगर कहने से जानकारी समझ में तब्दील हो जाए तो अच्छी बात होगी
लेकिन हज़ारों सालों से सैकड़ों लोगों ने ये आसान सी बातें कई बार कही है
मेरे कहने से और क्या हो जाएगा।
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